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सीएम भूपेश बघेल ने ली बिजली कंपनी के अधिकारियों की बैठक, 2 कंपनियों को भंग करने का लिया फैसला

सीएम भूपेश बघेल ने ली बिजली कंपनी के अधिकारियों की बैठक, 2 कंपनियों को भंग करने का लिया फैसला

रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने बिजली कंपनी के अधिकारियों की बैठक ली है। इस बैठक में छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के विखंडन के बाद बांटे गए पांच कंपनियों में से 2 कंपनियों को भंग करने का फैसला लिया गया है। बता दें छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के विखंडन के बाद में बांटा गया था, उनमें से अब जनरेशन, ट्रांसमिशन, ट्रेडिंग, होल्डिंग और डिस्ट्रीब्यूशन पांच कंपनियों में बांटा गया था। अब इनमें से ट्रेडिंग और होल्डिंग कंपनियों को भंग करने का फैसला लिया गया है।

कैबिनेट की अगली बैठक में तीन कंपनियां बनाने का फैसला

आपको बता दें की प्रदेश सरकार कोरोना काल में खर्चों में कटौती को लेकर हरसंभव उपाय करने में लगी हुई है। इसी सिलसिले में सीएम बघेल सरकारी उपक्रमों के पुनर्गठन पर भी जोर दे रहे हैं। शनिवार को सीएम और ऊर्जा मंत्री बघेल ने बिजली कंपनियों के कामकाज का बारीकी से रिव्यू किया है। सीएम ने 10 दिनों के भीतर दूसरी बार बिजली अफसरों की बैठक की है।

उन्होंने बिजली कंपनियों के चेयरमैन सुब्रत साहू समेत सभी एमडी के साथ बैठक कर 5 कंपनियों के पुनर्गठन को लेकर अब तक हुई कार्यवाही की जानकारी ली है। बिजली कंपनियों का पुनर्गठन कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र का भी हिस्सा रहा है। इसे देखते हुए सीएम बघेल ने इसमें हो रही देरी पर नाराजगी भी जताई। अफसरों ने बताया कि कंपनी एक्ट के तहत पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार से अनुमति जरूरी है। इस पर सीएम ने कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव लाने कहा है। उसके बाद नई कंपनियों के री-स्ट्रक्चर पर कंपनी मामलों के केंद्रीय विभाग से मंजूरी लेनी होगी। कैबिनेट की अगली बैठक में तीन कंपनियां बनाने का फैसला लिया जाएगा।

लगभग तीन सौ स्टाफ को तीनों कंपनियों में किया जा सकता है नियुक्त

गौरतलब है कि तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विद्युत अधिनियम 3 के तहत बिजली बोर्ड को भंग करते हुए 5 कंपनियों का गठन किया था। इनमें जनरेशन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, होल्डिंग और ट्रेडिंग कंपनी शामिल है। इनमें से बिजली का पूरा कारोबार पहले तीन कंपनियों द्वारा ही किया जाता है। शेष दो कंपनियां केवल स्थापना व्यय को एडजस्टमेंट के लिए बनाई गईं थीं। 11 साल में बिजली बोर्ड ने तीनों कंपनियों के स्थापना संबंधी अधोसंरचना स्थापित कर ली है। इस कारण होल्डिंग कंपनी की जरूरत नहीं रह गई है। इसी तरह ट्रेडिंग का सारा काम डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी कर रही है। ऐसे में ट्रेडिंग कंपनी भी बेमानी हो गई है। इन दोनों कंपनियों में भी स्टाफ भी तीन सौ के आसपास ही हैं, जिन्हें तीनों कंपनियों में नियुक्त किया जा सकता है।


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