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Cervical Cancer : 35 लाख की मशीन करेगी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच

Cervical Cancer : 35 लाख की मशीन करेगी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच

भोपाल। महिलाओं में होने वाले कुल कैंसर के मामलों में 12 फीसदी केस सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी का कैंसर) के होते हैं। हर साल इसमें 102 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस जानलेवा बीमारी की जल्द पहचान से मरीज की जान बचाई जा सकती है।इसके लिए एम्स में 35 लाख रुपए की लिक्विड बेस्ड साइटोलॉजी (एलबीसी) तकनीक बेस्ड मशीन लगाई गई है। प्रबंधन का दावा है इस सुविधा वाला एम्स प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है। विशेषज्ञों के अनुसार यह विश्व की सबसे आधुनिक और सटीक जानकारी मुहैया कराने वाली मशीन है।

पैथोलॉजी व लैब मेडिसिन विभाग ने लिक्विड बेस्ड साइटोलॉजी टेस्ट की सुविधा शुरू की है। इस सुविधा के शुरू होने से मध्य भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में काफी सहायता मिलेगी। शुरुआती दौर में इस बीमारी का पता लगने से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है।
    डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल

एलबीसी कैसे काम करता है

एलबीसी एक सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग तकनीक है, जिसमें कोशिकाओं को तरल में घोलकर उनकी जांच की जाती है। यही कारण है कि यह पैप स्मीयर परीक्षण की तुलना में बेहतर है। इसमें छोटे से छोटा संक्रमण भी पकड़ में आ जाता है, जिससे महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर फैलने से पहले ही रोका जा सकता है। इस सुविधा से 25 से 65 आयु वर्ग की महिलाओं को विशेष लाभ मिलेगा।

ज्यादातर जांच हो रही पैप स्मीयर मशीन से

शहर के ज्यादा तर अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर मशीन का उपयोग किया जा रहा है। इसके जरिए सर्वाइकल कैंसर और पूर्व-कैंसर घावों का पता लगाया जाता है। यह तकनीक ह्यूमन पैलीपोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण को शुरुआती चरण में नहीं पकड़ पाती है। यही संक्रमण सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में कई बार महिलाओं में बीमारी फैलने पर उसका उपचार संभव नहीं होती है। यह तकनीक इसलिए ज्यादा उपयोग की जा रही है क्योंकि यह सस्ता और सरल परीक्षण है।


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