न्यूटन के पहले नियम को 300 सालों से गलत पढ़ती रही दुनिया, अब समझे वैज्ञानिक इसका असली मतलब

न्यूटन के पहले नियम को 300 सालों से गलत पढ़ती रही दुनिया, अब समझे वैज्ञानिक इसका असली मतलब


न्यूयोर्क: 17वीं सदी के आखिर में न्यूटन ने गति के नियम लिखे। मूल रूप से लैटिन भाषा में लिखे गए ये तीन नियम बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ये हमें बताते हैं कि ब्रह्मांड में वस्तुएं किस तरह से चलती है। न्यूटन का पहला और दूसरा नियम, लैटिन में लिखी गई 'प्रिंसिपिया मैथमेटिका' ( 1687) से थे। इसपर दुनिया भर में कई भाषाओं का अनुवाद हुआ और वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि अब तक हम इन नियमों को गलत समझते आए हैं।

क्या है पहला नियम: 

1729 के इस अनुवाद के आधार पर बहुत सारे शिक्षाविदों ने न्यूटन के पहले नियम को कुछ इस तरह समझाया है, कोई वस्तु तब तक सीधी रेखा में चलती रहेगी या स्थिर रहेगी, जब तक कि कोई बाहरी ताकत या फोर्स हस्तक्षेप न करे। सीधे आसान शब्दों में कहें तो किसी चीज की स्थिति में तब तक बदलाव नहीं आएगा, जब तक उस पर बाहर से कोई बल ना लगाया जाए।

किसने पकड़ी गलती: 

अमेरिका के वजीनिया टेक में लैंग्वेज और मैथमेटिक्स के फिलॉसफर, डेनियल होक का कहना है कि हम न्यूटन के गति के प्रथम नियम को सटीक व्याख्या शायद थोड़ी गलत कर रहे थे। उन्होंने न्यूटन की किताब लैटिन प्रिंसिपिया के 1729 के अंग्रेजी अनुवाद में गलत अनुवाद' की खोज का दावा किया है।

कहां हुई गलती: 

रिकॉर्ड्स का दोबारा विश्लेषण करते हुए, होक को यह समझ में आया कि पहले की सामान्य व्याख्या में एकअहम भूल रह गई थी, जो 1999 तक किसी की नजर में नहीं आई। उस समय दो शोधकर्ताओं ने लैटिन शब्द ‘quatenus’ के अनुवाद पर ध्यान दिया, जिसे पहले नज़रअंदाज किया गया था। इसका सही मतलब था "अब तक", न कि "जब तक" जैसा पहले समझा गया था।होक के अनुसार, इस छोटे से शब्द के सही अनुवाद से पूरी व्याख्या ही बदल जाती है। पहले यह समझा जाता था कि न्यूटन यह कहना चाह रहे हैं कि यदि कोई वस्तु किसी बाहरी बल के संपर्क में न आए, तो वह अपनी गति को उसी रूप में बनाए रखेगी।लेकिन अब यह स्पष्ट हुआ है कि न्यूटन असल में यह बता रहे थे कि किसी वस्तु की गति में आने वाला हर परिवर्तन — चाहे वह झटका हो, मोड़ हो, ढलान हो या उछाल — सब कुछ किसी बाहरी बल के कारण होता है।


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