G Ram Ji Bill: नई दिल्ली। मनरेगा की जगह लाए गए “विकसित भारत-रोज़गार व आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025”, जिसे संक्षेप में जी राम जी (VB–G RAMG) कहा जा रहा है, को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद अब यह कानून देशभर में लागू होने की दिशा में अंतिम चरण में पहुंच गया है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद इसके नियम (Rules) बनाए जाएंगे, जिसके बाद इसे जमीन पर लागू किया जाएगा।
मनरेगा की जगह क्यों लाया गया जी राम जी कानून:
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, यह कानून विकसित भारत@2047 के विजन के अनुरूप ग्रामीण भारत की रोजगार व्यवस्था को नया स्वरूप देने के लिए लाया गया है। सरकार का दावा है कि यह केवल मजदूरी रोजगार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि टिकाऊ आजीविका, परिसंपत्ति निर्माण और दीर्घकालिक ग्रामीण समृद्धि पर भी फोकस करेगा।
125 दिन की वैधानिक रोजगार गारंटी:
मनरेगा के तहत जहां अब तक 100 दिन की रोजगार गारंटी थी, वहीं जी राम जी अधिनियम में इसे बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। धारा 5(1) के तहत सरकार पर यह स्पष्ट कानूनी जिम्मेदारी होगी कि पात्र ग्रामीण परिवारों को न्यूनतम 125 दिन का मजदूरी रोजगार दिया जाए। रोजगार मांगने का अधिकार पहले से अधिक मजबूत किया गया है।
कितना है बजट? जानिए पैसे का पूरा गणित:
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक, ₹1,51,282 करोड़ से अधिक की राशि इस योजना के लिए प्रस्तावित है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रोजगार देने के लिए धन की कमी न हो और गांवों का समग्र विकास हो सके।
प्रशासनिक खर्च में बड़ा बदलाव:
प्रशासनिक खर्च 6% से बढ़ाकर 9% कर दिया गया है। करीब ₹13,000 करोड़ पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, तकनीकी स्टाफ के वेतन और कार्यान्वयन से जुड़े खर्चों पर होंगे।
रोजगार की मांग का अधिकार रहेगा सुरक्षित:
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नया कानून रोजगार की मांग के अधिकार को कमजोर नहीं करता। रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देना सरकार की वैधानिक जिम्मेदारी बनी रहेगी। जवाबदेही और शिकायत निवारण तंत्र को और सशक्त किया गया है।
मानक आधारित फंडिंग सिस्टम:
जी राम जी कानून में नॉर्मेटिव (मानक आधारित) फंडिंग को अपनाया गया है। धाराएं 4(5) और 22(4) नियम-आधारित और पूर्वानुमेय फंड आवंटन सुनिश्चित करती हैं। इससे राज्यों और पंचायतों को पहले से बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
पंचायतों की भूमिका होगी मजबूत:
इस अधिनियम में केंद्रीकरण के बजाय विकेन्द्रीकरण पर जोर दिया गया है। धाराएं 16 से 19 पंचायतों, कार्यक्रम अधिकारियों और जिला प्राधिकारियों को योजना, क्रियान्वयन और निगरानी की शक्तियां देती हैं। केंद्र सरकार की भूमिका केवल समन्वय और निगरानी तक सीमित रहेगी।
रोजगार के साथ परिसंपत्ति निर्माण पर जोर:
जी राम जी कानून केवल मजदूरी रोजगार तक सीमित नहीं है। जलवायु-अनुकूल, टिकाऊ और उत्पादक परिसंपत्तियों के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। रोजगार सृजन और परिसंपत्ति निर्माण को एक-दूसरे का पूरक माना गया है।
टेक्नोलॉजी से पारदर्शिता और समावेशन:
नए कानून में टेक्नोलॉजी को बाधा नहीं, बल्कि सक्षम माध्यम माना गया है। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, जियो-टैगिंग, रियल-टाइम डैशबोर्ड, ग्राम सभाओं के जरिए मजबूत सोशल ऑडिट इन प्रावधानों से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
बेरोजगारी भत्ता: अब और मजबूत प्रावधान:
जी राम जी अधिनियम में बेरोजगारी भत्ते से जुड़े पुराने निरर्हता (Disqualification) प्रावधानों को हटा दिया गया है। अगर 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं दिया गया, तो बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा। इसे एक मजबूत वैधानिक सुरक्षा उपाय के रूप में शामिल किया गया है।
मनरेगा से कितना अलग है जी राम जी:
संक्षेप में कहें तो जी राम जी कानून मनरेगा का विस्तार और उन्नत संस्करण है, जिसमें ज्यादा रोजगार दिन, ज्यादा बजट, मजबूत जवाबदेही, टेक्नोलॉजी आधारित पारदर्शिता और टिकाऊ ग्रामीण विकास पर फोकस शामिल है।