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एमपी कांग्रेस विधायक : एमपी कांग्रेस के दलबदलू विधायकों की होगी सदस्यता समाप्त!

एमपी कांग्रेस विधायक : एमपी कांग्रेस के दलबदलू विधायकों की होगी सदस्यता समाप्त!

एमपी कांग्रेस विधायक : मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनावों के दौरान अबतक कांग्रेस के तीन विधायक बीजेपी का दामन थाम चुके है। कांग्रेस को सबसे पहले छिंदवाड़ा लोकसभा की अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने पाला बदलकर झटका दिया था। कमलेश शाह  ने विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन चुनावों के बीच और बीते दिनों दो विधायकों ने भी कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। जिनमें विजयपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और बीना विधानसभा से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे शामिल है।

दोनों विधायको ने बीजेपी की सदस्यता तो ले ली है, लेकिन दोनों ने विधानसभा की सदस्यता से अबतक इस्तीफा नहीं दिया था। अब दोनों की विधानसभा की सदस्तया पर खतरा मंडराने लगा है। दोनों पर दल बदल का कानून भी लागू हो सकता है। ऐसे में दोनों को विधायकी से हाथ धौना पड़ सकता है। 

कांग्रेस कर रही इस्तीफे का इंतजार

दरसअल, अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने 29 माच को बीजेपी की सदस्ता ली थी। बीजेपी में शामिल होने बाद शाह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने भी अमरवाड़ा विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया और अब उपचुनाव होना है, वही बीते दिनों विजयपुर सीट से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने बीजेपी का दामन तो थाम लिया, लेकिन उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस से भी इस्तीफा नही दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि रावत में इस्तीफा देने का इतना साहस नही है। 

अब बात करते है बीना कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की, निर्मला सप्रे सागर जिले की एकलौती कांग्रेस विधायक है। निर्मला सप्रे बीते दिनों बीजेपी में शामिल हो गई थी। वे पटवारी द्वारा इमरती देवी को दिए गए बयान से आहत थी। निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल तो हो गई, लेकिन उन्होंने भी विधानसभा की सदस्तया से अबतक इस्तीफा नहीं दिया। निर्मला सप्रे का कहना है कि सदन की कार्यवाई के दौरान अध्यक्ष को इस्तीफा देना होता है। बाकी पार्टी जो कहेगी वैसा करेंगी। 

कांग्रेस कराएगी सदस्यता खत्म

बीजेपी की सदस्तया लेने वाले कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता को लेकर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष का कहना है कि दोनों ने कांग्रेस के चिन्ह पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और विधायक चुने गए ​थे। उनकी पार्टी के चिन्ह पर विधानसभा में उपस्थिति दर्ज होती है। और पार्टी के आधार पर विधायकों को बैठने की व्यवस्था होती है।

मेरी जानकारी में है कि रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे ने विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में उनकी विधायकी समाप्त हो सकती है। धनोपिया का कहना है कि अगर दोनों का त्यापत्र नहीं आता है तो नेता प्रतिपक्ष दोनों पर कार्यवाई करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत करेंगे और सिद्ध करेंगे की दोनों भाजपा के सदस्य है, इसलिए दोनों की विधानसभा की सदस्यता को रद्द किया जाए। 


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