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मध्यप्रदेश लोकसभा : मोहन सरकार में हटाए जा सकते है ये पांच मंत्री, खतरे में कुर्सी!

मध्यप्रदेश लोकसभा : मोहन सरकार में हटाए जा सकते है ये पांच मंत्री, खतरे में कुर्सी!

विकास जैन भोपाल/मध्यप्रदेश लोकसभा : मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनावों के तीन चरण पूरे हो चुके है। 7 मई को तीसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। पहले और दूसरे चरण के बाद हुए तीसरे चरण में लोकसभा की कुछ सीटों पर कम मतदान प्रतिशत रहा। कम मतदान के चलते राजनैतिक दलों को चिंता सताने लगी है। सबसे ज्यादा चिंता भाजपा को है। बीते दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अचानक देर रात भोपाल पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक होटल में चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक की थी।

मीडिया की खबरों के अनुसार अमित शाह ने भाजपा नेताओं को मतदान प्रतिशत बढ़ाने का टारगेट दिया है। शाह ने साफ तौर पर कहा है कि जिन विधायकों के क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत 100 प्रतिशत के आसपास रहेगा उसे मंत्री पद संभवता दिया जा सकता है। वहीं मंत्रियों को भी उनकी कुर्सी जाने की हिदायत दी है। इसी के चलते प्रदेश के कुछ चुनिंदा मंत्रियों की कुर्सी अब खतरे के कटघरे में आ गई है। 

क्या है खतरे का कारण?

दरसअल, मध्यप्रदेश के पहले चरण में प्रदेश की 29 सीटों में से 6 सीटों पर मतदान हुआ था। इन सीटों पर साल 2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले 7.1 प्रतिशत कम मतदान हुआ। जबकि दूसरे चरण में भी 2019 के चुनावों की तुलना में 9.1 प्रतिशत मतदान हुआ। वही तीसरे चरण के मतदान में मोहन सरकार के 8 मंत्रियों में से 5 मंत्रियों के क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत कम रहा। बीजेपी आलाकमान साफ कर चुका है कि जिन इलाकों में कम मतदान होगा वहां के मंत्रियों की कुर्सी छीनी जा सकती है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत के आधार पर विधायकों का रिपोर्ट कार्ड भी बनाया जाएगा। जो विधायक सबसे अव्वल रहेगा उसे मंत्री बनाया जा सकता है। 

इन मंत्रियों की कुर्सी खतरे में?

दरअसल, मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में मोहन सरकार के 8 मंत्रियों में से 5 मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की अपेक्षा कम हुआ। सबसे ज्यादा मंत्री विश्वास सारंग के इलाके में 5 फीसदी तक घटा है। जबकि मंत्री राकेश शुक्ला और मंत्री गौतम टेटवाल के क्षेत्रों में मतदान लगभग बराबर रहा। 

मंत्री विश्वास सारंग नरेला विधानसभा में 56.10 प्रतिशत मतदान हुआ ज​बकि 2019 में 64.95 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानि इस बार 8.85 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 

मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा में 53.50 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में 58.53 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानि इस बार 5.03 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 

मंत्री कृष्णा गौर गोविंदपुरा विधानसभा में 56.15 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में 59.95 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानि इस बार 3.8 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 

मंत्री एदल सिंह कंषाना सुमावली विधानसभा में 53.10 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में 55.26 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानि इस बार 2.16 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 

मंत्री नारायण कुशवाह दक्षिण ग्वालियर विधानसभा में 57.98 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में 58.96 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानि इस बार 0.98 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। ऐसे में मोहन सरकार के इन 5 मंत्रियों की कुसी पर खतरा मंडराने लगा है। 


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