होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
जरा हटके
सेहत
अध्यात्म
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Hamidia Hospital Bhopal : फरवरी से नहीं मिला दवाओं के लिए बजट, पर्चे की अधिकांश दवाओं की कमी

Hamidia Hospital Bhopal : फरवरी से नहीं मिला दवाओं के लिए बजट, पर्चे की अधिकांश दवाओं की कमी

भोपाल। हमीदिया अस्पताल में अब लोगों को वार्डों में जरूरी दवाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के हालात इतने खराब हैं कि यहां पर एसिडिटी जैसी आम समस्‍या की पेंटाप और रेनीटिडीन जैसी दवाओं का भी टोटा है। तीन हजार की ओपीडी और छह सौ की आइपीडी वाले अस्पताल में मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदने को कहा जा रहा है। 

पर्चे में लिखी जाने वाली 55 प्रतिशत दवाएं अस्पताल में नहीं हैं। ऐसे में चिकित्सकों के पर्चे मेडिकल स्टोर तक जा रहे हैं। यह स्थिति फरवरी माह से बजट नहीं मिलने के कारण बनी है। दवाओं की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्लूको मीटर की स्ट्रिप और मरीजों को चढ़ाया जाने वाला नार्मल सलाइन भी नहीं है, जबकि इन दवाओं का स्टाक समाप्त होने के एक माह पहले ही अस्पताल प्रबंधन को आर्डर लगा देने थे। अभी अस्पताल में पैंटाजोल (एसिडिटी), लैसिक्स, मेट्रोजिल टैबलेट, मरोपेनम, नार्मल सलाइन (एनएस) कि कमी है।

 

बजट आने के बाद आर्डर दिए हैं

अभी फरवरी से दवा खरीदी के लिए बजट ही नहीं था। अभी कुछ बजट आया है, जिसके बाद हमने आर्डर दिए हैं। जल्द से जल्द दवाओं की उपलब्धता कराने के लिए कंपनी के साथ भी संवाद में हैं।
डॉ. सुनीत टंडन, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल

 

गर्मी से भी बढ़ता है ब्रेन स्ट्रोक दो दिन में आए 18 से 20 मरीज


  आमतौर पर ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ते हैं। मगर पिछले 10 दिनों से गर्मी के बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी बढ़े हैं। पिछले दो दिन अलग-अलग अस्पतालों में 18 से 20 मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार गर्मी के कारण आने वाले ब्रेन स्ट्रोक को सेरेब्रेल वीनस थ्रोम्बोसिस (सीवीटी) कहते हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि इसका संपूर्ण इलाज संभव है। साथ ही यह सर्दियों में आने वाले स्ट्रोक से कम घातक भी है।  
हमीदिया में आ रहे हमीदिया अस्पताल हर दिन चार से पांच मरीज सीवीटी के लक्षण के साथ आ रहे हैं। इनकी जांच में ब्रेन स्ट्रोक की बात की पुष्टी होती है। इन मरीजों सर में तेज दर्द, चक्कर आना, उल्टियां, झटके पड़ना समेत अन्य लक्षण देखे जा रहे हैं। खास बात यह है कि इसमें ज्यदातर वे लोग हैं जो मजदूरी व अन्य श्रामिक कार्य अधिक करते हैं।
 

सर्दियों मंे आने वाले स्ट्रोक
से अलग गर्मी का स्ट्रोक

 

हमीदिया अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के साहयक प्राध्यापक डॉ. आयुष दुबे ने बताया कि ठंड के दौरान जो ब्रेन स्ट्रोक आता है, उसके ब्रेन इंफ्राक्ट कहते हैं। यह दिल से खून को दिमाग तक ले जाने वाली धमनियों को प्रभावित करता है। यह मरीज के लिए घातक होता है। इससे पूरी तरह से रिकवर होने में समय लगता है। इसके ज्यादातर मरीज बुजुर्ग होते हैं। वहीं गर्मी के मौसम में आने वाले ब्रेन स्ट्रोक को सीवीटी कहते हैं। यह दिमाग से दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में थक्का जमने से होता है। साथ ही इसके ज्यादातर मरीज युवा व तेज धूप में काम करने वाले होते हैं। इसके मरीज जल्द रिकवर होते हैं। 
 


संबंधित समाचार