होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
जरा हटके
सेहत
अध्यात्म
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Bhopal News : ‘हैप्पी पेरेंट्स, हैप्पी चिल्ड्रन’ से रख रहे बच्चों और अभिभावकों को तनाव मुक्त

Bhopal News : ‘हैप्पी पेरेंट्स, हैप्पी चिल्ड्रन’ से रख रहे बच्चों और अभिभावकों को तनाव मुक्त

भोपाल। अधिक गर्मी और दिनभर घर में रहने के साथ-साथ मोबाइल की लत की वजह से ज्यादातर बच्चे तनाव में रहते हैं और उन्हें देखकर उनके अभिभावक भी तनाव से गुजर रहे हैं।  इस समस्या को देखते हुए शहर के युवा इंजीनियरों का एक समूह माता-पिता और बच्चों को तनाव मुक्त बनाने के लिए एक साथ आया है। 

उन्होंने अपनी पहल का नाम ‘हैप्पी पेरेंट्स, हैप्पी चिल्ड्रन’ टैगलाइन के साथ ‘द हमिंग चाइल्ड प्रोजेक्ट’ रखा है। इसका उद्देश्य माता-पिता को तनाव मुक्त बनाना और बच्चों के चेहरे पर मुस्कान वापस लाना है। द हमिंग चाइल्ड प्रोजेक्ट के संस्थापक शशि भूषण सिंह ने बताया कि परियोजना की शुरूआत 2019 में की गई थी। कोरोना काल में यह पहल ऑनलाइन माध्यम से चली और इसके बाद तीन महीने पूर्व इसे फिर से भौतिक रूप से शुरू किया गया है। इस बीच तीन बैठकें और कई गतिविधियां हो चुकी हैं। 

पोषण विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक सहित एक्सपर्ट को किया जाता है आमंत्रित 

अभिभावकों के लिए समूह शनिवार और रविवार को बैठकें आयोजित करता है, जहां पालन-पोषण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है। माता-पिता के प्रश्नों का उत्तर देने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए पोषण विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और शिक्षाविदों सहित विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। पिछली कुछ बैठकें हमारे बच्चों के लिए किस तरह का स्कूल सबसे अच्छा है? स्वास्थ्य, पोषण और भोजन, स्क्रीन और बच्चे: चुनौतियां और समाधान और हम पालन-पोषण में तनाव से कैसे निपटें पर केंद्रित थीं। वहीं बच्चों को खुश करने के लिए, समूह ड्राइंग, पेंटिंग, थियेटर, गेम्स सहित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 

पैरेंटिंग को लेकर बनाया पालकों का समूह

गांधी भवन में हुई एक गतिविधि में बच्चों और उनके माता-पिता दोनों ने अपने स्कूलों के चित्र बनाए। पार्क में ईकोटेल्स गतिविधि होती हैंं, जिसमें बच्चे कहानी सुनाते हैं। उन्होंने बताया कि हम अभिभावकों का समूह बना रहे हैं, जिन्होंने पैरेंटिंग को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया है।

पहले की पीढ़ी के बच्चे रहते थे ज्यादा खुश 

शशि भूषण सिंह का कहना है कि आज की तुलना में पहले की पीढ़ी के बच्चे कहीं अधिक खुश रहते थे। उन्हें चिंता करने की कोई बात नहीं थी। संयुक्त परिवारों के कारण पालन-पोषण करना भी कम कठिन था, जहां बच्चों के पालन-पोषण में दादा-दादी भी शामिल होते थे। आजकल परिवार एकल हो गए हैं। माता-पिता दोनों कामकाजी हैं और बच्चे तनावग्रस्त हैं। स्कूल, कोचिंग, कक्षाएं, मोबाइल और शौक मुख्य वजह है, जिससे उनके पास बहुत कम खाली समय बचता है। 

वैकल्पिक स्कूल की संकल्पना

शशि भूषण सिंह कहते हैं कि हमारा अंतिम उद्देश्य स्कूली शिक्षा की एक वैकल्पिक प्रणाली विकसित करना है। समूह की सदस्य ट्विंकल चौहान के अनुसार वैकल्पिक स्कूलों के कई माडल हैं,जो रबींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और जे कृष्णमूर्ति द्वारा प्रस्तावित हैं। हमें उन सभी का अध्ययन करने की जरूरत है। समूह चाहता है कि शिक्षा बच्चों के लिए बोझ न बने। बच्चों को खुशी से स्कूल जाना चाहिए और सीखने की प्रक्रिया का आनंद लेना चाहिए। समूह से जुड़े अंकुर जैन ने कहा कि वे चाहते हैं कि पालन-पोषण बच्चों पर केंद्रित हो। उनका कहना है कि चर्चा के दौरान माता-पिता कभी-कभी एक-दूसरे के सामने समाधान लेकर आते हैं। 


संबंधित समाचार