भोपाल। एम्स भोपाल को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद से एक करोड़ का अनुदान मिला है। यह अनुदान दवा परीक्षण और व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए प्रयोगशाला में विकसित 3-डी बायोप्रिंटेड स्तन कैंसर माॅडल विकसित करने दिया है। यह शोध राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला के सहयोग से किया जाएगा।
प्रमुख अन्वेषक एम्स भोपाल के ट्रांसलेशनल मेडिसिन विभाग की डाॅ. नेहा आर्य ने बताया कि प्रयोगशाला में विकसित 3-डी बायोप्रिंटेड ब्रेस्ट ट्यूमर आर्गेनाइड माॅडल दवा परीक्षण प्रोटोकाल में क्रांति लाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। एम्स भोपाल के सह-जांचकर्ताओं में डाॅ. रूपिंदर कौर कंवर, प्रो. अशोक कुमार, डाॅ. विनय कुमार, प्रो. दीप्ति जोशी, डाॅ. स्वागता ब्रह्मचारी और डाॅ. सैकत दास शामिल हैं।
परीक्षण में मददगार
एम्स के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि, 'स्तन कैंसर वैश्विक स्तर पर सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है, जिसके हर वर्ष लाखों नए मामले सामने आते हैं। 3-डी बायोप्रिंटेड स्तन ट्यूमर आर्गेनाइड के विकास का उद्देश्य एक ऐसे ऊतक का निर्माण करके इस चुनौती का समाधान करना है, जो मानव स्तन ट्यूमर की प्राकृतिक संरचना और कार्य की बारीकी से नकल कर सके। ये आर्गेनाइड दवाओं की प्रभावकारिता और सुरक्षा का परीक्षण करने में सहायक होंगे।'