होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
जरा हटके
सेहत
अध्यात्म
फैशन/लाइफ स्टाइल

 

Aiims Bhopal : एम्स में बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्ग को अल्ट्रा थिन डी सेक्ट से किया कॉर्निया ट्रांसप्लांट

Aiims Bhopal : एम्स में बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्ग को अल्ट्रा थिन डी सेक्ट से किया कॉर्निया ट्रांसप्लांट

भोपाल। एक 72 साल के बुजुर्ग की 62 साल की आयु में आंखों की पुतली खराब हो गई थी। उनका इससे पहले एक निजी अस्पताल में कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया, जो असफल रहा। ऐसे में एम्स के नेत्र विभाग के डॉक्टरों द्वारा उनका एक विशेष प्रक्रिया से इलाज किया गया, जिसे अल्ट्रा थिन डी सेक्ट कहा जाता है। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मरीज को पहले से मधुमेह समेत हार्ट और फेफड़ों की बीमारी भी है। एम्स के नेत्र विभाग की एचओडी डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि यह कॉर्निया रिट्रिवल प्रोग्राम से संभव हो सका है। एक सप्ताह में 4 नेत्रदान की मदद से 8 कॉर्निया प्राप्त हुई हैं। जिसके जरिए चार मरीजों का सफल कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया है।

दानदाता के परिवार को ग्रीन कार्ड


एम्स में दानदाता के परिजनों को ग्रीन कार्ड सुविधा दी जा रही है। इसके तहत जो व्यक्ति ग्रीन कार्ड के साथ इलाज के लिए अस्पताल आएगा, उसे विशेष सुविधा दी जाएगी। जिसमें परिवार को आईपीडी और ओपीडी में जांच से लेकर इलाज में एवम उपचार में प्राथमिकता प्रदान की जाएगी।


ये लोग जाते-जाते दूसरों की जिंदगी में रोशनी कर गए

शुभांगी बावकर, विपिन साहु, वंदना पाटिल और देवी प्रसाद शर्मा वे दानी हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन जाते जाते दूसरों की जिंदगी में रोशनी भर गए। इनके परिवार वालों ने अंतिम इच्छा का मान रखते हुए नेत्रदान के लिए सहमति दी थी।
इनका भी हुआ सफल ट्रांसप्लांट

एक महिला की आंख में गन्ने की कटाई के दौरान फांस चले जाने से आंखों की पुतली खराब हो गई थी। कॉर्निया ट्रांसप्लांट से मरीज के जीवन में रोशनी लाई। 23 साल के युवा के आंखों में ट्यूमर थl। जिसने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली थी। अब ट्रांसप्लांट के बाद वो देखने में सक्षम है। एक महिला आंखों के अल्सर से ग्रसित थी। उसकी भी सफल सर्जरी की गई।

देश में मरीजों के डिजिटल रिकॉर्ड मामले में पहले स्थान पर एम्स

देश में मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के मामले में एम्स पहले स्थान पर है। संस्थान के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि मरीजों का रिकॉर्ड डिजिटाइज करने में एम्स भोपाल देश के सभी संस्थानों में सबसे आगे है। आमतौर पर मरीज जांच की रिपोर्ट या डॉक्टर द्वारा पूर्व में लिखी गई दवा के पर्चे इत्यादि संभाल कर नहीं रखते है। जिससे दोबारा इलाज के लिए पहुंचने में कई समस्याएं आती हैं। इससे राहत देने के लिए डिजिटल प्रक्रिया अपनाई जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार एम्स भोपाल में लगभग 2.25 लाख मरीजों के रिकॉर्ड को उनके विशिष्ट नंबर के साथ जोड़ दिया गया है। 

मंगलवार को एक घंटा अधिक चली आयुष ओपीडी

एम्स में लंबे समय से आयुष विभाग में आयुर्वेद, होमेयोपैथी, यूनानी, योग की ओपीडी नियमित रूप से चल रही है। पहली बार एक माह (अप्रैल) में आयुर्वेद के 1200 से ज्यादा मरीज आए। वहीं आयुष विभाग में कुल 22 सौ से ज्यादा मरीज पहुंचे। जिसमें से 906 नए रोगी थे। इसके साथ ही 707 लोगों की पंचकर्म थेरपी की गई। प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक घंटा अधिक तक ओपीडी में मरीजों को देखा गया।


संबंधित समाचार