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Bhasm Aarti : भगवान महाकाल की क्यों भस्म से की जाती है आरती, जानें मान्यता और इससे जुड़ी खास बातें

Bhasm Aarti : भगवान महाकाल की क्यों भस्म से की जाती है आरती, जानें मान्यता और इससे जुड़ी खास बातें

उज्जैन; : उज्जैन स्थित महाकालेश्वर की भस्म आरती विश्वप्रसिद्ध है। जिसे देखने के लिए दूर दर्ज से आए दिन भक्त उज्जैन पहुंचते है। भस्म आरती का काफी पौराणिक महत्व है. आरती में श्मशान से लाई गई चिता की भस्म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद आरती की जाती है। यह आरती केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन के एक गहरे सत्य मृत्यु का प्रतीक है। महाकाल मंदिर ही एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां शिव का यह अनूठा शृंगार किया जाता है और भस्म अर्पित की जाती है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है। 

भस्म को भक्तों में वितरित किया जाता है

बताते चले कि आज से कई वर्ष पहले महाकाल की आरती जिस भस्म से की जाती थी उसे श्मशाम से ही लाया जाता था लेकिन अब यह तरीका बदल दिया गया है क्योंकि अब इस भस्म को तैयार करने के लिए पीपल, कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाया जाता है। इसके बाद इस भस्म को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस भस्म को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति को कई तरह के रोग और दोष से मुक्ति मिल सकती है।

आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट करती हैं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म आरती के दौरान महिलाएं सिर पर घूंघट या ओढ़नी डाल लेती हैं. मान्यता है कि उस वक्त महाकालेश्वर निराकार स्वरूप में होते हैं, इसलिए महिलाओं को आरती में शामिल न होने और न ही देखने की अनुमति होती है। हालांकि इस दौरान पुरषों को सिर्फ धोती पहनने की अनुमति होती है। 

मान्यता - भस्म यह दर्शाती है कि संसार की हर चीज नश्वर है और अंत में राख में मिल जानी है। शिव स्वयं भस्म धारण करके यह संदेश देते हैं कि भौतिक सुख-सुविधाएं क्षण भर नष्ट हो जाती हैं, जबकि आत्मा अमर है। उनके भस्म धारण करने का मतलब है कि उन्होंने मृत्यु पर विजय पा ली है, इसलिए उन्हें महाकाल भी कहा जाता है।

निराकार स्वरूप - यह आरती ब्रह्ममुहूर्त में होती है, जब बाबा महाकाल अपने निराकार स्वरूप में होते हैं। इस स्वरूप के दर्शन से शांति और मोक्ष मिलता है।

इन चीजों से मिलकर बनती है भस्म

महाकाल पर चढ़ने वाली भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलताश और बेर के वृक्ष की लकड़ियों को एक साथ जलाया जाता है. इस दौरान उचित मंत्रोच्चारण किए जाता है। 

क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती 

पौराणिक कथा के अनुसार दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी. यहां के ब्राम्हणों ने भगवान शिव से इसके प्रकोप को दूर करने की विनती की. भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी लेकिव वो नहीं माना. क्रोधित शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए और अपनी क्रोध से दूषण को भस्म कर दिया. माना जाता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहां दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था. इसलिए आज भी यहां महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है. 


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