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महिषमर्दिनी शक्तिपीठ: जहां गिरा था माता सती का भ्रूमध्य, यहां के गर्म जलकुंडों का है खास महत्त्व...

महिषमर्दिनी शक्तिपीठ: जहां गिरा था माता सती का भ्रूमध्य, यहां के गर्म जलकुंडों का है खास महत्त्व...

52 Shaktipeeths 25 Mahishamardini Shaktipeeth: महिषमर्दिनी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बकरेश्वर (Bakreshwar) नामक स्थान पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सती के भ्रूमध्य (भौंहों के बीच का भाग) यहीं गिरा था। इस कारण माता को यहाँ महिषमर्दिनी और भगवान शिव को भैरव वक्रनाथ के रूप में पूजा जाता है। यह शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है।

प्राचीन ग्रंथों में हैं उल्लेख: 

महिषमर्दिनी शक्तिपीठ का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों को मनचाही सिद्धि प्राप्त होती है। यह मंदिर बंगाली वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है और नवरात्रि, दुर्गा पूजा तथा मकर संक्रांति के अवसर पर यहाँ विशेष उत्सव और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।

बकरेश्वर के गर्म जलकुंडों की विशेषता:

मंदिर परिसर के आसपास कई गर्म जल के झरने (Hot Springs) हैं, जो इस स्थान को और भी विशेष बनाते हैं। इनमें प्रमुख हैं पापहरा गंगा, अमृत कुंड, अग्नि कुंड की काफी मान्यता है कि इन झरनों में स्नान करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं तथा रोगों से मुक्ति मिलती है।

ऐसे पहुंचें बकरेश्वर:

महिषमर्दिनी शक्तिपीठ कोलकाता से लगभग 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन सूरी (Suri) है, जहाँ से टैक्सी या बस द्वारा बकरेश्वर पहुँचा जा सकता है।महिषमर्दिनी शक्तिपीठ बकरेश्वर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध है। देवी महिषमर्दिनी और भैरव वक्रनाथ की उपासना करने हजारों भक्त प्रतिवर्ष यहाँ आते हैं और माता के दर्शन कर आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं।


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