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Guru Ghasidas Jayanti 2025 : कुतुब मीनार से भी ऊंची है छत्तीसगढ़ का जैतखाम, जानें महत्व और खासियत

Guru Ghasidas Jayanti 2025 : कुतुब मीनार से भी ऊंची है छत्तीसगढ़ का जैतखाम, जानें महत्व और खासियत

Jaitkham of Girodpuri: सतनामी समाज के लिए 18 दिसंबर का दिन बेहद खास है। क्योकि आज ही के दिन यानि की 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी में गुरु घासीदास बाबा जी का जन्म हुआ था। जिन्होंने युवा अवस्था में घने जंगलों से परिपूर्ण छाता-पहाड़ नामक प्रसिद्ध पर्वत पर कठोर तपस्या की और लोगों को सत्य, अहिंसा, दया, करुणा और परोपकार के उपदेशों के साथ मानवता का संदेश दिया था। सतनामी समाज के लोग 18 दिसंबर के दिन धूमधाम से जैतखाम की पूजा करते है और स्तंभ पर सफ़ेद झंडा चढ़ाकर बाबा की आराधना करते है। 

जैतखाम सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक

इस दिन लोग खास तौर पर सफेद वस्त्र धारण करते है और घर में तरफ तरह के पकवान बनाकर बाबा का जन्मदिन मनाते है। बलौदाबाजार के गिरौदपुरी में स्थित जैतखाम सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक है. जैतखाम छत्तीसगढ़ का एक शब्द है. जैत का अर्थ जय और खाम का अर्थ खम्भा होता है। यह स्तंभ छत्तीसगढ़ के अधिकतर जगहों में बना होता है। जिसकी लोग सुबह सुबह पूजा करते है। 

51.43 करोड़ रुपये से बना जैतखाम

गिरौदपुरी में बना जैतखाम वर्ष 2014 में पूरी तरह तैयार हुआ था. इसकी ऊंचाई 77 मीटर है, जो कि दिल्ली की कुतुब मीनार (72.5 मीटर) से भी ऊंचा है. यह जैतखाम देखने में बहुत सुंदर और भव्य है और दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। इस विशाल जैतखाम का निर्माण कार्य साल 2007-08 में शुरू हुआ था और जिसको मनाने में 51.43 करोड़ रुपये खर्च किये गए है और करीब 7 साल के बाद यह बनकर तैयार हुआ। आज यह ना सिर्फ सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक है, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और पहचान का एक गौरवशाली हिस्सा बन चुका है। 

जैतखाम सतनामी समाज के आस्था का प्रतीक

जैतखाम सतनामी समाज के लिए आस्था और पहचान का सबसे बड़ा प्रतीक है. यह एक लंबा सफेद स्तंभ होता है, जिसके ऊपर सफेद ध्वजा (झंडा) लहराते हैं. सतनामी इसे पवित्र मानते हैं और जहां भी वे बसते हैं, वहां जैतखाम जरूर बनाते हैं. यह सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आस्था का केन्द्र होता है। जहां रोज सुबह-शाम लोग पूजा और सतनाम का जाप करते हैं। 

गिरौधपुरी में एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम

गिरौधपुरी में एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम बनाया गया है। जो की समुद्र में लाईट हाउस की तरह दिखता है। जैतखाम की छत पर जाने के लिए दो तरफ से प्रवेशद्वार और सीढ़ियां बनाई गई हैं. दोनों तरफ 435-435 सीढ़ियां हैं. दोनों ओर सीढ़ियां इस तरह से बनाई गई हैं कि अलग-अलग चलने पर भी ऐसा आभास होता है कि लोग एक साथ चल रहे हों. दोनों सीढ़ियां एक-दूसरे के ऊपर दिखाई देती हैं। 

जैतखाम पर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है

जैतखाम सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक है. जैतखाम छत्तीसगढ़ का एक शब्द है. जैत का अर्थ जय और खाम का अर्थ खम्भा होता है. जहां- जहां सतनामी रहते हैं वहां इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जैतखाम पर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है. यह सतनामियों के लिए विजय का प्रतीक है. 


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