India US Defence Deal: भारत और अमेरिका ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 10 साल का रक्षा फ्रेमवर्क समझौता (Defence Framework Agreement) साइन किया है। इस ऐतिहासिक करार पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हस्ताक्षर किए।यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया व्हाइट हाउस बैठक का सीधा नतीजा माना जा रहा है।
रणनीतिक और तकनीकी सहयोग को नई मजबूती
इस डील के तहत दोनों देशों की सेनाएं रक्षा तकनीक, सूचना साझा करने और सामरिक प्रशिक्षण में गहराई से सहयोग करेंगी। भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार, हेलिकॉप्टर और ड्रोन तकनीक तक पहुंच मिलेगी। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
मेक इन इंडिया और इंजन डिलीवरी पर फोकस:
बैठक के दौरान F404 इंजन की डिलीवरी में देरी का मुद्दा भी उठाया गया, जो भारतीय वायुसेना के तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोजेक्ट के लिए अहम है। अमेरिका ने भरोसा दिलाया कि जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच सहयोग को तेज किया जाएगा ताकि उत्पादन में किसी तरह की रुकावट न आए।
चीन को संतुलित करने की रणनीति:
यह समझौता केवल तकनीकी सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना भी है। भारत और अमेरिका ने मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
समझौते से मिलने वाले बड़े फायदे:
भारत के लिए: भारत को इस समझौते से अत्याधुनिक सैन्य तकनीक तक आसान पहुंच, रक्षा उद्योग में ‘मेक इन इंडिया’ को गति, आत्मनिर्भरता और रोजगार के नए अवसर और क्षेत्रीय सुरक्षा में मजबूत भूमिका सहित कई बड़े फायदे मिलने वाले हैं.
अमेरिका के लिए: वहीं अमेरिका को भी भारतीय रक्षा बाजार में बड़ा ऑर्डर बेस,इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक साझेदारी के साथ तेजी से बढ़ती एशियाई अर्थव्यवस्था से जुड़ाव होगा.
राजनाथ सिंह और हेगसेथ की मुलाकात का महत्व:
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर साझा किया कि यह समझौता भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को "इतिहास में सबसे मजबूत स्तर" पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में दोनों देश साझा तकनीकी, औद्योगिक और सुरक्षा लक्ष्यों पर मिलकर काम करेंगे।
आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम:
भारत-अमेरिका के बीच हुआ यह 10 साल का रक्षा फ्रेमवर्क समझौता सिर्फ एक करार नहीं, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम है। यह न सिर्फ भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी रणनीतिक भूमिका को भी और सशक्त बनाएगा।