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इथियोपिया में 12,000 साल बाद ज्वालामुखी विस्फोट, राख भारत पहुँची, एशिया तक फैला खौफ, जानिए क्यों कहते Silent Killer

इथियोपिया में 12,000 साल बाद ज्वालामुखी विस्फोट, राख भारत पहुँची, एशिया तक फैला खौफ, जानिए क्यों कहते Silent Killer

पूर्वी अफ्रीका के अफार क्षेत्र में स्थित एक निष्क्रिय ज्वालामुखी करीब 12 हजार वर्ष बाद अचानक सक्रिय हो गया। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि 14 किलोमीटर ऊँचाई तक घना धुआँ और राख वायुमंडल में फैल गई। इस काँच जैसी महीन ज्वालामुखीय राख (Volcanic Glass Ash) के कण हवा में तेज़ी से यात्रा करते हुए दिल्ली तक पहुँच गए, जिससे उड़ानों की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ी है। 

फेफड़ों और पर्यावरण पर गंभीर असर:

विशेषज्ञ इसे “साइलेंट किलर” इसलिए बता रहे हैं क्योंकि यह राख दिखती भले कम है, पर इंजन, फेफड़ों और पर्यावरण पर गंभीर असर डालती है। इथियोपिया एक ऐसा देश जहाँ ‘वक्त’ भी अलग तरह से चलता है, इथियोपिया न केवल अपनी पुरानी सभ्यता के लिए जाना जाता है, बल्कि अपनी अनोखी समय प्रणाली और कैलेंडर के कारण भी दुनिया से बिल्कुल अलग है। यही देश है जहाँ आज भी 2018 वर्ष चल रहा है, और साल में 13 महीने होते हैं।

इथियोपिया में 13 महीने और अलग कैलेंडर क्यों:

इथियोपिया दुनिया में उन कुछ देशों में से है जिसने यूरोपीय उपनिवेशवाद स्वीकार नहीं किया। यहाँ अब भी प्राचीन गीज़ कैलेंडर चलता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर से 7-8 वर्ष पीछे है।  यहां के कैलेंडर की विशेषताएँ 12 महीने × 30 दिन = 360 दिन, अतिरिक्त 5 दिन (लीप ईयर में 6 दिन) को जोड़कर बनता है 13वां महीना   “पागुमेन”इसलिए इथियोपिया को कहा जाता है: “13 Months of Sunshine” भी कहा जाता है। 

इथियोपिया में सूर्योदय ‘सुबह 12 बजे’:

इथियोपिया में घड़ी की शुरुआत आधी रात से नहीं सूर्योदय से मानी जाती है। इथियोपियन टाइम में सुबह 6 बजे = सुबह 12 बजे दोपहर 6 बजे = शाम 12 बजे यानी उनकी घड़ी सूरज की रोशनी के साथ शुरू होती है! इथियोपिया—सभ्यता प्राचीन, आधुनिकता धीमी,आज भी इथियोपिया के ग्रामीण इलाकों में 70% आबादी बिना बिजली-पानी के रहती है. इंटरनेट पहुंच केवल 25% हैं और मिट्टी के घरों में पारंपरिक पहनावे और मौखिक कहानी संस्कृति आज भी यहां जीवित हैं। ललिबेला के 11वीं सदी के प्रसिद्ध चट्टानी चर्चों में आज भी वही प्राचीन परंपराएँ निभाई जाती हैं।

कैसे फैल रही है ज्वालामुखी की ‘काँच जैसी’ राख:

ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख में काँच के बेहद बारीक कण होते हैं, जो हवा की तेज़ धाराओं के साथ लंबी दूरी तय कर लेते हैं। इंजन में जाकर पिघलकर जाम कर सकते हैं, साँस में जाने पर फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं, धूप को रोककर तापमान पर असर डाल सकते हैं इसी वजह से इसे Silent Killer Ash कहा जाता है।

फ्लाइट्स के लिए बड़ा खतरा:

वातावरणीय पैटर्न के अनुसार राख की यह परत भारत के ऊपर से गुजर चुकी है, अब चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर बढ़ रही है। कई एयरलाइनों ने रूट में बदलाव शुरू कर दिए हैं। ऐसे कण रडार पर आसानी से दिखते नहीं, इसलिए पायलटों के लिए जोखिम और बढ़ जाता है। इथियोपिया का यह प्राचीन ज्वालामुखी सिर्फ स्थानीय खतरा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का बड़ा विषय बन गया है। साथ ही, यह एक बार फिर दुनिया का ध्यान इथियोपिया की अनोखी संस्कृति, अलग कैलेंडर और समय प्रणाली की ओर भी खींच रहा है। 


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