राज्य गठन के बाद से अब तक जारी है संघर्ष और शहादत का सिलसिला : नक्सलियों के हमलों में अब तक 1417 पुलिस जवान और अफसरों की गई जानें 

राज्य गठन के बाद से अब तक जारी है संघर्ष और शहादत का सिलसिला : नक्सलियों के हमलों में अब तक 1417 पुलिस जवान और अफसरों की गई जानें 

रायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ दशकों से चल रही पुलिस और सुरक्षा बलों की लड़ाई में पिछले 25 साल में 1417 से अधिक पुलिस व सुरक्षा बालों के जवानों ने अपनी शहादत दी है। सोमवार को बस्तर के सुकमा में नक्सालियों की बिछाई बारूदी सुरंग आईईडी में विस्फोट से रायपुर निवासी एक पुलिस अधिकारी एएसपी सुकमा आकाश राव गिरपुंजे की शहदत ने इस संख्या को और बढ़ा दिया है। खास बात ये है की पुलिस अधिकारी - कर्मचारियों की शहादत के दम पर राज्य से नक्सलवाद का खात्मा करीब नजर आ रहा है। प्रदेश में शांति सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए ये बलिदान देना पड़ा है। छत्तीसगढ़ से नक्सलियों की गतिविधियों का इतिहास करीब 6 दशक पुराना है, लेकिन इनकी सक्रियता से लेकर आतंक के शीर्ष पर पहुंचने और अब खात्मे किए जाने का 25 साल का लेखा-जोखा एक एक अलग ही इतिहास लिख रहा है। 

25 साल में 1417 जवान शहीद:

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2000 में राज्य गठन से लेकर 25 साल की अवधि में हजारों नागरिकों, पुलिस और सुरक्षा बलों को लोगों ने अपनी शहादत दी है। यही नहीं, इस अवधि में बड़ी संख्या में नक्सली भी मारे गए हैं। राज्य में 2001 से लेकर 2025 में अब तक की स्थिति में सुरक्षा बलों के 1417 लोग शहीद हुए हैं।

ये पुलिस अधिकारी हुए हैं शहीद: 

 नक्सलियों के हमलों में जान गवाने वाले पुलिस अधिकारियों की सूची में कई नाम शामिल हैं। पुलिस अधीक्षक वीके चौबे 2009, एपीसी जयराम लकड़ा 2002, एपीसी रमेश कुमार 2003, सहायक सेनानी विजय नंद, विकास चंद्रा 2007, उप सेनानी दिवाकर महापात्र 2008, सहायक सेनानी मनोरंजन कुमार सिंह, राकेश कुमार 2009, सहायक सेनानी जतिन गुलाटी 2010, निरीक्षक एसआर नायर 2010, एएसपी राजेश पवार 2011 इनमें शामिल हैं।

सीआरपीएफ के सबसे ज्यादा शहीद: 

2001 से लेकर अब तक नक्सल हमलों में सबसे अधिक 457 जवान और अधिकारी सीआरपीएफ के छत्तीसगढ़ में शहीद हुए हैं। जिला पुलिस (डीईएफ) सीएएफ, एसटीएफ, सहायक आरक्षक, एसपीओ, गोपनीय सैनिक, और नगर सैनिक मिलाकर राज्य पुलिस के 856 शहीद हुए। इनके अलावा बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, मिजो नगा फोर्स के सैकड़ों ने अपनी जानें गंवाई है।

2007 में पहले सबसे अधिक 200 हुए थे शहीद: 

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2001 में नक्सलियों से लड़ते हुए सात पुलिस एवं सुरक्षा कर्मियों- अधिकारियों की जानें गई थी। लेकिन अगले ही साल यानी 2002 में यह आंकड़ा बढ़कर दोगुना यानी 14 हो गया। इसके बाद फिर 2003 में 32 शहादतें हुई। लेकिन इसके बाद वर्ष 2007 में 200 पुलिस व सुरक्षा बलों ने जाने गंवाई। इस साल में जिनकी शहादतें हुई उतनी न कभी पहले हुई थी न अब तक यानी 2025 तक हुई है। हालांकि इसी बीच 2010 में हुए हमलों में 177 सुरक्षा बल के लोग शहीद हुए। लेकिन इसके बाद एक बार फिर हालात में बदलाव हुए। नक्सलियों के हमलों में 2008 के बाद से लेकर अब तक जान गंवाने वालों शहीदों की संख्या में कमी आने लगी। 2011 में 87 शहीद हुए। इसके बाद से लेकर अब तक शहीदों के आंकड़ा इससे अधिक नहीं बढ़ा। 2011 से लेकर 2025 में अब तक नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष में हर साल शहादत की संख्या में कमी आई है।


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