
रायपुर: कोयला लेवी घोटाले के आरोपी निलंबित आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत प्रदान की है। कोर्ट ने जमानत देते समय कड़ी शर्तें लगाई हैं और बताया गया है कि गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के कारण इन तीनों को जमानत मिलने के बाद छत्तीसगढ़ में रहने से प्रतिबंधित किया गया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डिवीजन बेंच ने जमानत याचिका पर सुनवाई की।
जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे आरोपी :
हालांकि जमानत मिलने के बाद भी कोयला घोटाले के आरोपी जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे क्योंकि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में दर्ज अन्य मामलों की वजह से उन्हें जेल में ही रहना होगा। हाल ही में ईओडब्ल्यू और एसीबी ने स्पेशल कोर्ट में डीएमएफ घोटाले के सिलसिले में इन सभी के खिलाफ छह हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में आरोप है कि ये सभी डीएमएफ घोटाले में शामिल थे और एक संगठित गिरोह के रूप में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।
क्या है डीएमएफ घोटाला :
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट में निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी समेत नौ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। जांच में खुलासा हुआ है कि डीएमएफ फंड के तहत विभिन्न टेंडर जारी कर कमीशनखोरी की गई। इस घोटाले में अफसरों के अलावा राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जो कमीशनखोर ठेकेदारों को राजनीतिक संरक्षण देते थे।
घोटाले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि टेंडर की राशि का लगभग 40 प्रतिशत कमीशन के रूप में बांटा गया। इस कमीशन की बड़ी हिस्सेदारी अफसरों की जेब में गई। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20 प्रतिशत तक कमीशन तय था। बिना कमीशन के कोई टेंडर या काम की अनुमति नहीं दी जाती थी।
ईडी की जांच में आईएएस रानू साहू को पद का दुरुपयोग करते हुए दोषी पाया गया है। उनके कार्यकाल में कोरबा के डीएमएफ फंड में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। रानू साहू और माया वारियर के गठजोड़ को भी ईडी ने उजागर किया है, जिनकी 23.79 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है।
जांच के दौरान मिली भारी आर्थिक अनियमितताएं:
डीएमएफ फंड के तहत टेंडर आवंटन में बड़ी आर्थिक गड़बड़ी पाई गई है। जांच में टेंडर प्राप्तकर्ताओं और बिचौलियों द्वारा अधिकारियों व नेताओं को भारी कमीशन देने की बात सामने आई। तलाशी में 76.50 लाख रुपए नकद, आठ बैंक खाते सीज और फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
जेल में बंद आरोपी:
इस मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा अधिकारी माया वारियर और NGO सचिव मनोज कुमार द्विवेदी रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। साथ ही चार अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है।
घोटाले की शुरुआत:
डीएमएफ घोटाला 2021-22 में कोरबा में शुरू हुआ, जब रानू साहू कोरबा की कलेक्टर थीं। कारोबारी मनोज द्विवेदी ने कलेक्टर की सहमति से अन्य अधिकारियों को भी अपने साथ जोड़ लिया। इसके बाद अपने NGO के माध्यम से कई डीएमएफ ठेके हासिल किए। अधिकारियों को कमीशन बांटकर यह खेल चलाया गया, जिसमें सरकारी टेंडर पर भी भारी कमीशन लिया गया।