राहुल गाँधी आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों की बैठक में हुए शामिल, जल, जंगल, जमीन सहित इन मुद्दों पर हुई गहरी चर्चा...

दिल्ली: अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस द्वारा दिल्ली में आयोजित आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों की बैठक में राहुल गाँधी सम्मिलित हुए. जहां उनकी मुख्य समस्याओं और उन पर हो रहे अन्याय के बारे में गहरी चर्चा हुई। मुख्य मुद्दा जल, जंगल, ज़मीन के छीने जाने और अधिकारों के दमन का है। भाजपा सरकार लगातार प्राकृतिक संपदाओं को कुछ चुने हुए अरबपतियों को बेचे जा रही है। जंगल, जो आदिवासियों के घर, उनकी विरासत हैं, नष्ट किए जा रहे हैं, आदिवासियों को बेघर किया जा रहा है। इसके साथ ही आदिवासियों की जीविका चलाने वाले वनोपज भी नष्ट हो रहे हैं। तेंदूपत्ता, महुआ जैसी फसलें जिनका आदिवासी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा महत्व है उन्हें खत्म किया जा रहा है  उनके रोज़गार और व्यवसाय की रीढ़ तोड़ी जा रही है।

आदिवासी बच्चों की शिक्षा के खिलाफ साजिश:  

कांग्रेस और UPA सरकार द्वारा बनाए गए मजबूत PESA कानून को भी NDA की सरकार द्वारा कमज़ोर करने की पूरी कोशिश की जा रही है। आदिवासी क्षेत्रों की पंचायतों के लिए आवंटित बजट या तो लैप्स हो जाता है, या ट्रांसफर। ये इस समुदाय के खिलाफ़ सोचा-समझा षड्यंत्र है। ताकि वो स्वावलंबी और सशक्त न हो पाएं, अपने  हक के लिए आवाज़ न उठा पाएं। साथ ही आदिवासी बच्चों की शिक्षा के खिलाफ भी एक गहरी साज़िश चल रही है। युक्तियुक्तकरण के नाम पर, छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्य में 10,000 से ज़्यादा स्कूल बंद किए जा रहे हैं - जब आदिवासी बच्चे शिक्षित ही नहीं होंगे तो वो अपने अधिकार, अपनी भागीदारी और हिस्सेदारी कैसे पहचानेंगे।

उद्योगपतियों को बनाया जा रहा अमीर:
 
भाजपा चाहती है कि आदिवासी समाज, भारत के पहले मालिक कमज़ोर हो जाएं ,उनके जंगल और जमीन छीन लिए जाएं और कुछ उद्योगपतियों को और अमीर बनाया जाए। कांग्रेस पार्टी और मैं आदिवासी भाई-बहनों के साथ हैं। हमने उन्हें शक्ति देने के लिए कई कानून बनाए हैं, अब  उनकी रक्षा के लिए ढाल बन कर भी उनके आगे खड़े रहेंगे।

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