अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से भरोसा दिलाया है कि उनके राष्ट्रपति पद के दौरान चीन ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा।ट्रंप के अनुसार, शी जिनपिंग ने स्पष्ट कर दिया कि अगर उन्होंने ऐसा कदम उठाया, तो उसके "गंभीर परिणाम" होंगे। ट्रंप ने यह बात CBS के लोकप्रिय शो ‘60 Minutes’ को दिए एक इंटरव्यू में कही। उन्होंने बताया कि हाल ही में दक्षिण कोरिया में उनकी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी, जिसमें मुख्य रूप से अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों पर चर्चा हुई थी।
चीन और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के लिए खतरा:
इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, 'चीन और अमेरिका दोनों एक-दूसरे के लिए खतरा हैं, लेकिन अगर साथ काम करें तो दोनों देश और मजबूत बन सकते हैं।' उन्होंने जोड़ा कि चीन 'लंबी रणनीति' के साथ काम करता है, लेकिन अमेरिका भी उतना ही रणनीतिक है।
पुतिन-जिनपिंग दोनों ताकतवर और समझदार नेता: ट्रंप
जब ट्रंप से पूछा गया कि व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग में से कौन ज्यादा कठिन नेता हैं, तो उन्होंने कहा, “दोनों ही बेहद ताकतवर और समझदार नेता हैं। ऐसे नेताओं के साथ गंभीरता से पेश आना पड़ता है।” उन्होंने आगे कहा कि, “हमारे पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। हमें निरस्त्रीकरण पर काम करना चाहिए, लेकिन हम अकेले ऐसे देश नहीं बनना चाहते जो परीक्षण बंद करे। 'वेनेजुएला पर बोले ट्रंप ‘हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन उन्होंने हमें नुकसान पहुंचाया’।
अमेरिका-चीन-ताइवान की त्रिकोणीय रिश्तों पर चर्चा:
जब इंटरव्यू के दौरान ट्रंप से पूछा गया कि क्या अमेरिका वेनेजुएला पर सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है, तो उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा, लेकिन उन्होंने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है खासकर ड्रग तस्करी और अवांछित लोगों को भेजने के मामलों में।' डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने अमेरिका-चीन-ताइवान त्रिकोणीय रिश्तों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। जहां चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, वहीं अमेरिका उसके समर्थन में खड़ा दिखाई देता है। ट्रंप के इस दावे के बाद अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर नई हलचल देखने को मिल सकती है।