कांकेर। आदिवासी समाज के पूर्व जिलाध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की जेल में हुई संदिग्ध मौत को लेकर बस्तर संभाग में तनाव और विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। 5 घंटे के चक्काजाम के बाद रविवार को आदिवासी समाज और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से बस्तर बंद का आह्वान किया, जिसका कई जिलों में व्यापक असर देखा गया।
इसी बीच कांग्रेस की विशेष जांच समिति आज जीवन ठाकुर के गांव मयाना पहुंची, जहां टीम ने परिजनों से बातचीत कर पूरे मामले की जानकारी जुटाई।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आज मयाना पहुंचे और उन्होंने परिवार से मुलाकात कर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
“यह बीमारी से मौत नहीं, सोची-समझी हत्या है”—भूपेश बघेल
भूपेश बघेल ने कहा कि जीवन ठाकुर को पहले साज़िश के तहत झूठे केस में फंसाया गया, फिर जेल में उन्हें खाना-पानी तक ठीक से नहीं दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद भी जेल प्रशासन ने जानबूझकर इलाज में देरी की, जिसके चलते उनकी मौत हुई।
बघेल का कहना है कि भाजपा नेताओं के इशारे पर जीवन ठाकुर को जेल में प्रताड़ित किया गया, और अब पूरी घटना को छिपाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच की मांग की।
जेल प्रशासन पर गंभीर सवाल
पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि जेल भेजने से पहले मेडिकल टेस्ट अनिवार्य होता है।
उन्होंने पूछा— “अगर जीवन ठाकुर को कोई बीमारी थी, तो जेल प्रशासन ने समय पर इलाज क्यों नहीं कराया?” उन्होंने इसे जेल महकमे की सीधी लापरवाही बताया।
परिजनों की पीड़ा और प्रशासन पर आरोप
परिजनों ने दावा किया कि— जीवन ठाकुर को कांकेर जेल से रायपुर बिना सूचना शिफ्ट किया गया, तबीयत बिगड़ने की जानकारी परिवार को नहीं दी गई।
मौत होने के कई घंटे बाद सूचना मिली
मामला बढ़ने पर 6 दिसंबर को कांकेर जेलर को पद से हटाया गया, लेकिन परिजन, आदिवासी समाज और कांग्रेस दोषियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं।
क्या है पूरा मामला?
जीवन ठाकुर को जमीन विवाद के मामले में 12 अक्टूबर 2025 को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2 दिसंबर को रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया। 4 दिसंबर को अचानक तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।परिजनों का आरोप—जीवन ठाकुर को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। समय पर इलाज होता तो जान बच सकती थी।