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Pachmarhi Nagdwar Yatra : पचमढ़ी में नाग पंचमी पर उमड़ेगा भक्तजनों का सैलाब 

Pachmarhi Nagdwar Yatra : पचमढ़ी में नाग पंचमी पर उमड़ेगा भक्तजनों का सैलाब 

Pachmarhi Nagdwar Yatra : मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में प्रतिवर्ष 10 दिवसीय धार्मिक आयोजन (इस बार 19 जुलाई से 29 तक ) नाग पंचमी पर्व पर किया जाता है जिसे नाथद्वारा यात्रा की उपाधि दी गई है। यह 10 दिवसीय यात्रा सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच में मौजूद नागद्वार गुफा मंदिर तक ले जाती है और नागद्वार मंदिर में भगवान शिव की आराधना का अवसर भक्त जनों को प्रदान कराती है। यह यात्रा काफी कठिन मानी जाती है करीबन 15 किलोमीटर की इस यात्रा में भक्तजन जंगलों के दुर्गम रास्ते से होकर मंदिर तक पहुंचते हैं। आईए जानते हैं इस यात्रा के बारे में।

प्रशासनिक विजिट से यात्रा की शुरुआत 

पचमढ़ी में लगने वाला यह धार्मिक आयोजन प्रदेश के नाम चिन धार्मिक आयोजनों में से एक है। इस धार्मिक आयोजन की प्रमुखता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेले से काफी दिन पूर्व ही इस यात्रा का निरीक्षण सर्वप्रथम प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता है।निरिक्षण प्रिक्रिया का सुपरविजन जिला कलेक्टर करते हैं साथ ही आला अधिकारियों की टीम मेले से पूर्व एवं मेले के दौरान संपूर्ण आयोजन पर नजर रखती है।

भक्तों की परीक्षा लेती है यात्रा 

इस यात्रा का उद्गम पॉइंट नागफ़नी है जो की धूपगढ़ मार्ग पर स्थित है।यह यात्रा नागफ़नी से शुरू होती है और नागद्वार मंदिर तक पहुंचती है। मंदिर स्थल पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है। यह 15 किलोमीटर का पैदल ट्रैक श्रद्धालुओं के लिए बड़ी चुनौती साबित होता है। यह पैदल मार्ग पूरी तरह घने जंगलों के बीच मौजूद है एवं पथरीला रास्ता, बरसाती नाले,उतार चढ़ाव इस यात्रा को परीक्षामय में बनाते हैं।

भोलेनाथ और प्रकृति का अनूठा संगम 

"भक्ति" भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। यह सिर्फ पूजा-पाठ या कर्मकांड तक सीमित नहीं, बल्कि भगवान के प्रति अगाध प्रेम, समर्पण और विश्वास की एक अविरल धारा है। इस यात्रा के दौरान भक्तजन अपने आराध्य के करीब तो पहुंचते ही हैं साथ ही इस यात्रा के दौरान अनुभव करने वाला प्राकृतिक जीवन भी शिव भक्तों के जीवन पर असर डालता है। वह जंगल जो करीबन साल भर अकेला चुपचाप वीरान रहता है नाग पंचमी के इस अवसर पर जीवित हो उठता है। वह वृक्ष चट्टानें जो कभी शांति चुप थी इस यात्रा काल के दौरान वह किसी का सहारा बनती है उन पर भक्तजन हाथ रखकर चढ़ाई करते हैं।अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना, क्योंकि कर्म ही पूजा है यही शिक्षा इन पेड़ों से चट्टानों से मिलती होगी।

यात्रा के दौरान बारिश की अहम भूमिका 

क्योंकि यात्रा पूरी तरह जंगली क्षेत्र में की जाती है एवं मंदिर स्थल भी पूरी तरह गहरे वन में मौजूद है ऐसे में बारिश ही एकमात्र सहारा है जो यात्रा पर जा रहे भक्तजनों की प्यास एवं अन्य सुविधाओं के लिए जल मुहैया कराती है। प्रशासनिक विभागों द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि बरसाती जल इकट्ठा होकर पाइपों के जरिए बनाए गए सुविधा स्थलों तक पहुंचता है जिनका उपयोग यात्रा में आए शिव भक्त आसानी से करते हैं बारिश ज्यादा होने से यात्रा के दौरान पानी की कमी नहीं रहती जो यात्रा को आसान बनाती है।

फील्ड रिपोर्टर का अनुभव 

बतौर पत्रकार यह यात्रा केवल पत्रकारिता या आर्टिकल शिप का एक टॉपिक नहीं है धार्मिक यात्राएं हमें धर्म आध्यात्मिक ईश्वर प्रकृति इन सब से तो जोड़ती है साथ ही यह हमें जोड़ती हैं अपने आप से जो आज के इस दौर में सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे संवाददाता मोहम्मद सादिक अली पत्रकार INH24×7 हरिभूमि, इस यात्रा को बीते लंबे समय से कवर करते आए है। उनका कहना है कि पचमढ़ी आने वाले श्रद्धालु धार्मिक लीला में पूरी तरह मदहोश रहते हैं एवं खुद से खुद को,खुद से भगवान को,खुद से ईश्वरीय ताकतों को जोड़ते हुए वह इस धार्मिक यात्रा का अनुभव करते हैं जो अविस्मरणीय है।


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