सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। कारीगुंडम के घने जंगल और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच एक मुठभेड़ हुई है. डीआरजी टीम और नक्सलियों के बीच शनिवार सुबह से ही रुक-रूककर गोलीबारी जारी है। सूत्रों के मुताबिक़ तीन नक्सलियों के इस मुठभेड़ में मारे जाने की सूचना मिली है, हालांकि अभीइस ममाले पुलिस की आधिकारिक पुष्टि बाकी है। जानकारी के अनुसार चिंतागुफा क्षेत्र में माओवादियों की सक्रियता की सूचना पर थाना भेज्जी और डीआरजी ने तड़के ही सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
जंगलों में ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण:
सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच 16 नवंबर की सुबह से ही लगातार फायरिंग हो रही है। क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों और घने जंगलों के कारण ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। अधिकारी क्षेत्र में चल रहे अभियान की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। मुठभेड़ समाप्त होने के बाद ही घटनास्थल की विस्तृत जानकारी और आधिकारिक बयान जारी किए जाएंगे।
माओवादी को मिला बड़ा झटका:
जानकारी के मुताबिक माओवादी पार्टी को बड़ा धक्का लगा है। दरअसल तेलंगाना स्टेट कमेटी में सक्रीय 8 नक्सलियों और दो शीर्ष माओवादी नेताओं ने वारंगल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की सुचना मिली है। हालांकि इसका आधिकारिक पुष्टि अभी पुलिस ने नहीं की है।
इन दो नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण:
मिली जानकारी के अनुसार, ये सभी नक्सली दो दिन पहले ही गुपचुप तरीके से सरेंडर हो चुके हैं और सोमवार को इसकी आधिकारिक घोषणा होने की संभावना है। आत्मसमर्पण करने वालों में सबसे बड़ा नाम कोय्यादी संबय्या उर्फ आज़ाद, बीकेएसआर डिवीज़न कमेटी सचिव का है। आजाद कई दशकों से माओवादी संगठन में प्रमुख रणनीतिक भूमिका निभा रहे थे। इसके अलावा तकनिकी टीम के प्रभारी ने अब्बास नारायण उर्फ़ रमेश ने भी सरेंडर कर दिया है। लंबे समय से रमेश रामागुंडम इलाके में सक्रीय था।
माओवादी के सरेंडर का बड़ा कारण:
बता दें कि तेलंगाना स्टेट और आजाद कमेटी के प्रमुख नक्सल नेता दामोदर की बीच अंदरूनी मतभेद और टकराव भी इस सरेंडर का बड़ा कारण बताया जा रहा है। आजाद मुलुगु जिले के मोद्दुलागुडेम गांव के मूल निवासी हैं, वहीं स्टेट कमेटी में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत थी। इस ममाले में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह सरेंडर छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा क्षेत्र में सक्रीय माओवादी नेटवर्क के लिए बड़ा झटका हो सकता है। 16 नवंबर की सुबह से ही लगातार माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच फायरिंग हो रही है। वहीं घने जंगलों और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। अधिकारी क्षेत्र में चल रहे अभियान की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। मुठभेड़ समाप्त होने के बाद ही घटनास्थल की विस्तृत जानकारी और आधिकारिक बयान जारी किए जाएंगे।