MP Politics : मध्यप्रदेश के राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। खास तौर पर भाजपा में। विधानसभा चुनाव के बाद किसी ने नहीं सोचा था की मोहन यादव प्रदेश के मुखिया बनेंगे, प्रदेश की जनता को पूरी उम्मीद थी की शिवराज सिंह फिर से सत्ता की बागडोर संभालेंगे, लेकिन बीजेपी ने सीएम की घोषणा होते होते पांसा पलट दिया और मोहन को प्रदेश का प्रभार सौंप दिया। शिवराज के समर्थक बंगले झांकते रह गए। हालांकि बीजेपी ने पार्टी में बगावत की वू सूंघते हुए शिवराज सिंह को लोकसभा लड़ाकर मोदी सरकार में सबसे बड़ा कृषि मंत्रालय सौंप दिया।
विधायकों की 'छछूंदर' जैसी स्थिती!
वो सब तो ठीक है, लेकिन मध्यप्रदेश बीजेपी में दो ऐसे विधाकय है जिनके साथ कुछ ठीक होता नहीं दिखाई दे रहा है। इन दो विधायकों की पार्टी में 'छछूंदर' जैसी स्थिति बन गई है। इन विधायकों के सामने अब ‘एक तरफ कुआ है, दूसरी तरफ खाई’ है। ये दो विधायक लालच में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में तो आए गए, लेकिन अब अधर में लटके दिखाई देने लगे है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से भाजपा विधायक कमलेश शाह और बीना सीट से विधायक निर्मला सप्रे की। दोनों विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए है। कमलेश शाह कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके है और अमरवाड़ा में हुआ उपचुनाव जीतकर फिर से विधायक चुने जा चुके है। वही बीना से निर्मला सप्रे ने अबतक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
क्या कहते है जानकार?
हरिभूमि अखबार के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति जानकार दिनेश निगम त्यागी का मानना है कि एक कहावत है, ‘भइ गति सांप, छछूंदर जैसी’। यह स्थिति बन गई है कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए दो विधायकों की। छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह, इन्होंने मंत्री बनने के लालच में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का साथ छोड़ दिया था। इस्तीफा देने के बाद उप चुनाव जीत कर भाजपा विधायक बन गए लेकिन मंत्री नहीं बन पाए।
‘एक तरफ कुआ है, दूसरी तरफ खाई’
दूसरी हैं सागर जिले के बीना की विधायक निर्मला सप्रे। इन्होंने भी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ी थी। इन्हें बीना को जिला बनाने का आश्वासन मिला था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बीना को जिला बनाने की तैयारी कर ली थी लेकिन भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह रूठ गए। उन्होंने पहले से अपने क्षेत्र खुरई को जिला बनाने की तैयारी कर रखी थी। बीना और खुरई आपस में सटे हैं। दोनों को जिला बनाना संभव नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि भूपेंद्र अड़ गए। अंतत: मुख्यमंत्री डॉ यादव बीना तो गए लेकिन जिला बनाने की घोषणा नहीं की। उन्होंने वहां जाने से पहले ही परिसीमन आयोग बनाने की घोषणा कर दी। अर्थात जब आयोग की रिपोर्ट आएगी, तभी नए जिले बनेंगे। साफ है कि कमलेश शाह और निर्मला सप्रे से किए गए वादे पूरे नहीं किए जा सके। सवाल है कि अब ये दोनों करें तो क्या? क्षेत्र के लोगों को क्या जवाब दें? इनके ‘एक तरफ कुआ है, दूसरी तरफ खाई’।