सुमित्रा महाजन : आठ बार की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन के दिल का दर्द कल सामने आया। जिला पंचायत की बैठक में ताई ने कहा- गांवों में इतनी गंदगी...? बाप रे... मैं तो वहां जाने से डरती हूं...। ताई की बात सुनकर सांसद समेत तमाम अफसर और नेता हतप्रभ रह गए। हालांकि उन्होंने ताई की बात से सहमति जताई।
ताई ने जिला पंचायत कार्यालय में नेताओं, अधिकारियों की बैठक ली और अपना दर्द बताया। जब ताई अपना दर्द बयां कर रही थीं तब उनके चेहरे पर गांवों की पीड़ा उभर आई थी। पूरे हाल में सन्नाटा छा गया था और नेता-अफसरों के चेहरे देखने लायक थे। ताई ने कहा कि मैं बहुत दु:खी और नाराज हूं। अब तो गांवों में जाने में भी डर लगता है। शहर जितना साफ है। गांव उतने ही गंदे हैं।
क्या गांव के लोग इंसान नहीं...
लोग कहते हैं आपकी सरकार ने हमें क्या दिया? हमारे गांवों की हालत क्यों नहीं सुधर रही है? ताई ने कहा कि आप कहीं भी चले जाओ। देवगुराड़िया से आगे या फिर जामगेट से आगे, सभी जगह गंदगी पसरी हुई है। सांवेर, महू हो या फिर देपालपुर, राऊ, सभी जगह ही ये हाल हैं। अधिकारियों का ध्यान भी सिर्फ शहर में है, गांवों के लिए कोई योजना नहीं है। क्या गांव के लोग इंसान नहीं हैं? क्या उन्हें जीने का हक नहीं है? आखिर अधिकारी गांवों को समझते क्या हैं? ताई की इस डांट को सुनकर अधिकारी और नेता हक्के-बक्के रह गए। किसी को कोई जवाब नहीं सूझा। सब चुप थे और हॉल में सन्नाटा छा गया। केवल ताई की आवाज ही गूंज रही थी। ताई ने कभी डांटा तो कभी समझाया। वे ये भी बोली कि तुम लोगों को कोई परेशानी हो तो मेरे पास आओ। मैं मुख्यमंत्री तक तुम्हारी बात पहुंचाऊंगी।
इंदौर की छवि हो रही खराब
ताई ने अफसरों से पूछा-दूसरे राज्यों के लोग इंदौर आते हैं। शहर तो साफ दिखता है, गांवों में गंदगी दिखती है तो उन पर क्या असर होता होगा? वे क्या इमेज लेकर इंदौर से जाते होंगे? हमारे शहर में आने वाले गांवों का भी हमें ही ध्यान रखना होगा। इससे इंदौर की छवि खराब हो रही है और आप लोगों को तो कोई मतलब ही नहीं है। जिस वक्त ताई अपनी बात रख रही थीं, तब सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसी सिलावट, अपर कलेक्टर सिद्धार्थ जैन, जनपद पंचायत अध्यक्ष रीना मालवीय समेत तमाम नेता और अधिकारी बैठक में मौजूद थे लेकिन किसी के मुंह से एक शब्द नहीं फूटा। सबके सब चुपचाप बैठे कातर भाव से ताई को सुन रहे थे।
ताई ने ये दिए सुझाव
एनजीओ से बात करिए और गांव गांव में गंदगी के प्रति जागरूकता अभियान चलाइए, जो भी सरपंच सक्रिय हैं उन्हें सबसे पहले जोडिए, घर-घर से शुल्क लें और इसका महत्व समझाएं, कचरा गाडियों के लिए उद्योगों से बात करें, सीएसआर का फंड लें, पहले योजना बनाएं और फिर अधिकारियों से संसाधन मांगें।
अफसर बोले ताई सही कह रहीं..
बैठक में जब ताई का गुस्सा शांत हुआ, तब सांसद-मंत्री और अफसरों ने कहा कि आप सही कह रही हैं। वाकई गांवों की हालत खासकर गंदगी के मामले में बेहद खराब है। हम योजना बनाकर जल्द से जल्द इंदौर के सभी गावों में स्वच्छता के लिए काम शुरू करेंगे। आपने जो सुझाव दिए हैं उन पर इसी महीने से अमल शुरू कर दिया जाएगा। इस पर ताई ने कहा-अगले माह फिर मीटिंग करूंगी। पूछूंगी कि आप लोगों ने क्या किया?